( Ayodhya mudde par faisle ke waqt likhi mere lekh ka part)
एक हिन्दू होकर के भी मैंने कभी हिंदुयों का साथ नही दिया न ही मुस्लिमों से कोई प्रेम है.और हाँ ना ही कभी ईद में किसी से गले मिलने से नफरत किया ,ना ही , होली के रंगों में डूब जाने से कोई दूर रहे . लेकिन हाँ सचाई से मुह मोड़ना शायद हमने सिखा नही कभी . आज का सबसे जवलंत मुद्दा है कि, अयोध्या मुद्दे पर फैसला आने वाला है कोर्ट का और हर कोई त्यारियां कर रहा है उस दिन होने वाले विवादों के लिए . मीडिया ने अपने ने इंटरव्यू के लिए बुक कर लिया है उन सब को जिनका इस देस से कोई लेना देना नही है , जिनका किसी धर्मं से कोई लेना देना नही है , जिनका न्यायिकता से कोई लेना देना नही है .
लेकिन फैसला सुनाने के दिन वे पूरी तयारी के साथ आयेंगे और वो भी पूरी हमदर्दी के साथ . कभी नमाज न पढने वाले चमचमती हुई टोपी पहन के आयेंगे . तो कभी मंदिर न जाने वाले लाल पीला , हरा नीला कपडा लटका के . और उस दिन आप भी घर से बाहर नही जाईयेगा क्योकिं उस दिन आप सुनेगे देस प्रेम ,धर्म प्रेम के नये नये किस्से.
लेकिन फैसला सुनाने के दिन वे पूरी तयारी के साथ आयेंगे और वो भी पूरी हमदर्दी के साथ . कभी नमाज न पढने वाले चमचमती हुई टोपी पहन के आयेंगे . तो कभी मंदिर न जाने वाले लाल पीला , हरा नीला कपडा लटका के . और उस दिन आप भी घर से बाहर नही जाईयेगा क्योकिं उस दिन आप सुनेगे देस प्रेम ,धर्म प्रेम के नये नये किस्से.
मंदिर मस्जिद को स्वाभिमान के साथ जोड़ना तो आसान है लेकिन जो इसे स्वाभिमान के साथ जोड़ रहे हैं वो सिर्फ या तो मंच से भासन देने वाला वर्ग है या फिर दूर केबिनो में बैठ कर देश सुधार , समाज सुधार का ढकोसला रचने वाले . लेकिन जो भी स्वाभिमान की बात करते हैं, तो उनसे एक ही सवाल है की क्या आप जायेंगे स्वाभिमान की लड़ाई लड़ने . अरे देश पे हमला करने वाले तो खुद ये —– लोग हैं जो कभी स्वाभिमान या फिर कभी धर्म के नाम पर बेचारी जनता को लडाते रहते हैं . और खुद घरों में दुबके पड़े रहते हैं. और जब फैसला सुनाया जायेगा न तब भी देखिएगा की उस वक़्त आपका स्वाभिमान कहा होंगा , जब आप अपने कमरे में बैठ कर चर्चा करते फिरेंगे . मै दावा करता हूँ की जो इस झगड़े को जन्म दे रहे हैं वो वो एक बार उस दिन चलकर के खड़े तो हों वहां . तो उसी वकत ख़त्म कर दिया जायेगा सदियों का झगड़ा . लेकिन अगर नही चल सकते तो अपने घरों में चुपचाप बैठे रहें और जो होता है उस होने दें.
आखिर क्यूँ नफरत है इनको ईद के मौके पे हिन्दू और मुस्लिम के गले मिलने से , क्यूँ इनकी ——————- जाती है जब होली में सब एक होना चाहते हैं .
क्यूँ
क्यंकि तब ये वोट कैसे पाएंगे क्यूंकि इनका भी तो सपना है ,, सरकार में जाने का , और या तो खेल नही तो सडक ,नही तो बाढ़ , नही तो देस का विकास करना . जैसे कि सब कर रहे हैं.
क्यूँ
क्यंकि तब ये वोट कैसे पाएंगे क्यूंकि इनका भी तो सपना है ,, सरकार में जाने का , और या तो खेल नही तो सडक ,नही तो बाढ़ , नही तो देस का विकास करना . जैसे कि सब कर रहे हैं.
और सब से अच्छी बात तो ये है कि मुंबई में रहने वाले धर्म प्रेमी जो इस अयोध्या में रहने वालों को मारते वक़्त ये नही पूछते कि तुम मुस्लिम हो या हिन्दू ? तुम अयोध्या से आये हो या आजमगढ़ से ?? वो भी शामिल हैं इस अयोध्या प्रेम में , उन्हें भी प्रेम है इस अयोध्या में जन्मे राम से … इस बाबरी मस्जिद में निवास करने वाले खुदा से ..——————————————————————-……………
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