Saturday 10 September 2011

ये इश्क मुहब्बत प्यार की बातें

ये इश्क मुहब्बत प्यार कि बातें ,
बाकी हैं बेकार कि बातें ,
कल तक मै ये कहता था .
यादों में खोया रहता था,
.
अब भी खोया रहता हूँ ,
सोकर भी जगा मैं रहता हूँ ,
जगकर भी सोया रहता हूँ ,
अब भी करती परेशान मुझे ,
पता नही क्यूँ प्यार कि बातें .
.
वो पहली बार नजरों का मिलना,
वो पहली बार इजहार कि बातें ,
wo नजरों से इकरार कि बातें ,
और होठों से इनकार कि बातें ,
.
अब भी याद जब उसे करता हूँ ,
तकिया बाँहों में भरता हूँ ,
कल दूर हुआ तो दिल रोया था ,
अब पास जाने से डरता हूँ
.
फिर भी करती परेशान मुझे ,
उसके आने के इन्तजार कि बातें ,
वो कैंटीन के कोने में बैठ ,
करना, प्यार और मनुहार कि बातें ,
.
जब इश्क ने बहुत सताया था
तब दिल को बहुत समझाया था
दिल को करने के लिए हल्का ,
तब माँ बाबूजी को बताया था ,
.
दिन याद है मुझे वो अब भी ,
वो बाबूजी की डांट फटकार कि बातें ,
याद है मेरा वो चुप रहना ,
और वो माँ-बाबूजी का कहना,
कि ये इश्क मुह्हबत प्यार कि बातें ,
ये सब हैं बेकार कि बातें ….
.
पर जब इश्क कोई फ़रमाता है ,
तो इश्क खुदा हो जाता है ,
दुनिया कि फिक्र को छोड़ ,
तब वो अपने में खो जाता है,
.
पर मै तब बहुत रोया था ,
उस रात मैं नही सोया था ,
भूल नही पाता है कोई ,
वो पल और वो हसीं मुलाकातें ,
वक़्त कि राहों में गुम हो गयी ,
वो हँसते दिन वो चांदनी रातें ,
.
अब पता नही क्यूँ डरता हूँ ,
मैं इश्क के किसी तराने से
ये इश्क सिर्फ एक धोखा है ,
बस यही कहता हूँ जमाने se ,
.
jo दूर है इससे, वो पछताये ,
जो पास इसके, वो रोता है ,
कुछ खोने वाला कुछ पा बैठा ,
कुछ पाने वाला कुछ खोता है
.
इसलिए कहता है “राजीव “
कि तुम रोक लो अपनी जजबातें,
ये इश्क मुहब्बत प्यार कि बातें ,
ये बस हैं बेकार कि बातें
ये इश्क मुहब्बत प्यार कि बातें ,
ये हैं बस बेकार कि बातें !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

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