Saturday 10 September 2011

मेरा बचपन लौटा दे

लौटाना है आज मुझे तो मेरा बचपन लौटा दे ,
खुशियों का वो छोटा आँगन , वो प्रेम का उपवन लौटा दे .
लौटाना हे आज मुझे तो मेरा बचपन लौटा दे ,
हर दिन होली हर रात दिवाली , दिन वो बचपन लौटा दे.
याद है मुझे ,
दादा जी के साथ बगीचे में वो जाना ,
पेड़ों के झुरमुट में जाकर छिप जाना ,
दादा जी का मुझको अपने पास बुलाना ,
और मेरा उनके अचकन में जा कर छिप जाना ,
लौटाना है आज मुझे तो दादा जी का वो अचकन लौटा दे ,
लौटाना है आज मुझे तो मेरा बचपन लौटा दे ,
ख्वाबों का संसार मुझे कोई लौटा दे ,
माँ कि थप्पड़ का प्यार मुझे कोई लौटा दे ,
पहली बार देखा था, जिसे चौबारे पर ,
आज वो परी अनजान मुझे कोई लौटा दे
उसकी शर्म से लाल गाल ,और झुकी हुई पलकें ,
अब भी करती परेशान मुझे कोई लौटा दे ,
पहली बार जवानी को देखा था मेने जिस दरपन में ,
हो सके तो एक बार वही दरपन मुझको लौटा दे ,
लौटाना है आज मुझे तो मेरा बचपन लौटा दे ,
चौबारे का निश्छल प्यार और वो प्रेम का उपवन लौटा दे
लौटाना है आज मुझे तो मेरा बचपन लौटा दे ,

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