Friday 9 September 2011

मै क्यूँ किसी को अपना नही बनाता ??

मै  किसी  को   कभी  अपना  नही  बनाता,
सब  पूछते   हैं  पर  मै  बता  नही  पता,

सबसे  पहले  मैने  मिटटी  का  घरोंदा  बनाया  था,
उसे  मैने  बगीचे  के  फूलों  से  सजाया  था ,
तभी  कुछ  देर  बाद  ही  बरसात  हो  गयी  थी ,
मेरी  मिटटी  की  गुडिया  बर्बाद  हो  गयी  थी  ,

फिर  मैने  लकडी  का  एक  मंदिर  बनाया  था ,
,मैने  उसमे  घी  का  दीपक  जलाया  था 
तभी  हवा  के  झोंके  से  उसमे  आग  लग  गयी  थी
मेरे   अरमानो  की  मंदिर   जलकर  खाक  हो   गयी  थी
पर  फिर  भी  मैने  कभी  भी  हार  नही   मानी
इस  बार  मैने  एक  बडी  बात  ठान  ली
मैने  सफ़र  के  एक  राहगीर  को  साथी  बनाया
उसने  मुझे  अपनी  बारात  में  बुलाया 
वहा  पहुंच  कर  मै  फिर  हाथ  मल  रहा  था
बारात  के  जगह  पर   उसका  जनाजा  निकल  रहा  था 
क्या  आप  फिर  भी  कहेंगे  कि  मुझे  अपना  बनाइए
मै  कहता  हूँ  इसलिए  मुझे  अकेला  छोड़  जाइये 
मै  इसलिए  किसी  को  कभी  अपना  नही  बनाता
और  सफ़र  पर  मै  अपने  अकेला  ही  निकल  जाता 

1 comment:

  1. ये सब ऊपर वाले के हाथ में है की क्या होगा क्या नहीं होगा तो इसमें अपने आप को दोष देना बेमानी है !

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