यादों का सहारा कल तक जीने के लिए काफी था,
अब आँखों को नींद है कि आती नही,
अब जब गुजरता हूँ उन्ही वादियों से फिर कभी ,
जो हसीं लगती थी कल तक वो अब दिल को भाती नही,
वो सांसों कि गर्मियां जेहन मै भी हैं अब भी बसीं ,
पर अब क्या हुआ जो धडकने फिर से तेज हो जाती नही,
अब गेसुयों कि खुशबू ख्यालों मै तो हैं मगर ,
क्या हुआ जो अब वो गेसू खुल के बिखर जाती नही ,
वो छेड़ जाना नजरों से सबसे नजर बचा कर के ,
क्या हुआ उन नजरों को , कि अब वो शोखियाँ आती नही ,
वो अपलक देखना तेरा जब भी गुजरना पास से ,
और वो सहेलियों का कहना कि एक तू है कि शर्माती नही,
सबका पूछना कि चेहरे पे तो दीखती हैं शुर्खियाँ तेरे ,
और एक तू है कि हम से कुछ बताती नही,
अब भी करती हैं परेशां बस वही मुहब्बत कि बातें ,
कोशिश करता हूँ बहुत पर वो सरगोशियाँ भूल पाती नही ,
भूल के ना भूल पाया हूँ मै उस भूल को,
जीने का दिल करता नही पर मौत है कि आती नही ,
अब आँखों को नींद है कि आती नही,
अब जब गुजरता हूँ उन्ही वादियों से फिर कभी ,
जो हसीं लगती थी कल तक वो अब दिल को भाती नही,
वो सांसों कि गर्मियां जेहन मै भी हैं अब भी बसीं ,
पर अब क्या हुआ जो धडकने फिर से तेज हो जाती नही,
अब गेसुयों कि खुशबू ख्यालों मै तो हैं मगर ,
क्या हुआ जो अब वो गेसू खुल के बिखर जाती नही ,
वो छेड़ जाना नजरों से सबसे नजर बचा कर के ,
क्या हुआ उन नजरों को , कि अब वो शोखियाँ आती नही ,
वो अपलक देखना तेरा जब भी गुजरना पास से ,
और वो सहेलियों का कहना कि एक तू है कि शर्माती नही,
सबका पूछना कि चेहरे पे तो दीखती हैं शुर्खियाँ तेरे ,
और एक तू है कि हम से कुछ बताती नही,
अब भी करती हैं परेशां बस वही मुहब्बत कि बातें ,
कोशिश करता हूँ बहुत पर वो सरगोशियाँ भूल पाती नही ,
भूल के ना भूल पाया हूँ मै उस भूल को,
जीने का दिल करता नही पर मौत है कि आती नही ,
No comments:
Post a Comment