कल मै सब के पास जाता था
कोई तो अपना बनाएगा मुझे,
यही सोच साथ साथ जाता था,
जब होती थी नही फूलों से दोस्ती,
तब मै काटों के पास जाता था,
कल मै अरमानो की सीढ़ी बनाता था,
पर ऍन मौके पर वो भी टूट जाता था,
कल मै गिरे हुए को उठाता था,
पर वह भी मुझे बैशाखी थमता था,
दूसरो को हँसाने के लिए,
कल मै अपना गम छिपाता था,
इस तरह से मै अपना कल बिताता था,
पर आज
तो फिर लोग क्यूँ मेरे कंधे से कन्धा मिलते हैं
पर एक बात है , जो कल यादों मै आते थे
वे कल भी रुलाते थे और अब भी रुलाते हैं
पर अकसर होता है मेरे साथ ही ऐसा क्यूँ?
जब मै अपना आज बिताता हूँ, तो लोग अपना कल बिताते हैं
कोई तो अपना बनाएगा मुझे,
यही सोच साथ साथ जाता था,
जब होती थी नही फूलों से दोस्ती,
तब मै काटों के पास जाता था,
कल मै अरमानो की सीढ़ी बनाता था,
पर ऍन मौके पर वो भी टूट जाता था,
कल मै गिरे हुए को उठाता था,
पर वह भी मुझे बैशाखी थमता था,
दूसरो को हँसाने के लिए,
कल मै अपना गम छिपाता था,
इस तरह से मै अपना कल बिताता था,
पर आज
मै जब जब अकेला रहना चाहता हूँ,
ना जाने सब लोग क्यूँ मेरे पास आते हैं,
मै जब कहता मेरा अपना नही कोई,
आखिर क्यूँ सब लोग मुझे अपना बनाते हैं,
मैंने है कर ली आज काटों से दोस्ती ,
तब फुल भी टूटकर क़दमों मै बिखर जाते हैं,
आज मै गिरना चाहता हूँ फिर सीढियों से
तो सब लोग मुझे क्यूँ अपने पलकों पे बिठाते हैं,
आज चाहता हूँ कि मै खूब रोऊँ,
ना जाने सब लोग क्यूँ मेरे पास आते हैं,
मै जब कहता मेरा अपना नही कोई,
आखिर क्यूँ सब लोग मुझे अपना बनाते हैं,
मैंने है कर ली आज काटों से दोस्ती ,
तब फुल भी टूटकर क़दमों मै बिखर जाते हैं,
आज मै गिरना चाहता हूँ फिर सीढियों से
तो सब लोग मुझे क्यूँ अपने पलकों पे बिठाते हैं,
आज चाहता हूँ कि मै खूब रोऊँ,
हँसाने के लिए फिर क्यूँ मुझे गुदगुदाते हैं,
आज जब चाहता हूँ मै बैशाखी का सहारा, तो फिर लोग क्यूँ मेरे कंधे से कन्धा मिलते हैं
पर एक बात है , जो कल यादों मै आते थे
वे कल भी रुलाते थे और अब भी रुलाते हैं
पर अकसर होता है मेरे साथ ही ऐसा क्यूँ?
जब मै अपना आज बिताता हूँ, तो लोग अपना कल बिताते हैं
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